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Showing posts from June, 2018

• बुद्धिमत्ता की परीक्षा

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एक दिन लीसा नाम का एक व्यक्ति राजा इवानुश्का के दरबार में आया। कहने लगा हे राजन, मैं आपके दरबार में नौकरी प्राप्त करने की इच्छा से आया हूँ , आप जो भी काम मुझे दें मैं करने को तैयार हूँ। वैसे मैं पढ़ा लिखा युवक हूँ।         राजा बोला -  हम तुम्हारी परीक्षा लिए बिना तुम्हे नौकरी नहीं दे सकते, यदि तुम हमारे यहाँ नौकरी करना चाहते हो तो हमारे दरबार में सुबह ही हाजिर हो जाना। परन्तु याद रहे तुम कोई भी उपहार हमारे लिए नहीं लाना, लेकिन बिना उपहार के खाली हाथ भी मत आना । सारे दरबारी राजा का मुँह देखने लगे            लीसा ने सिर झुका के अभिवादन किया और 'जो आज्ञा '  कह कर चला गया अगले दिन लीआ दरबार में उपस्थित हुआ तो उसके हाथ में एक सफ़ेद कबूतर था ।  राजा के सामने पहुंच कर लीसा बोला -  राजन यह लीजिये मेरा उपहार । यह कहकर कबूतर राजा की ओर बढ़ा दिया । परन्तु जो ही राजा ने हाथ बढ़ाया कबूतर उड़ गया । राजा ने कहा -  पहली परीक्षा में तुम सफल हुए हो । इसके पश्चात् राजा ने धागे का एक छोटा-सा टुकड़ा लीसा को देते हुए कहा -  कल हमारे लिए इस धागे से आसान बुनकर लाना । हम उसी आसान पर बैठेंगे ।        

• प्रवचन और मुल्ला नसरुद्दीन ...

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                 एक बार मुल्ला नसरुद्दीन को प्रवचन देने के लिए आमंत्रित किया गया। नसरुद्दीन समय पर पहुंचे और स्टेज पर आ गए और अपना प्रवचन शुरू करने से पहले उन्होंने लोगो को संबोधित किया की "क्या आप जानते हैं मैं आपको क्या बताने वाला हूँ।'  सब लोगो ने एक साथ एक स्वर में जवाब दिया कि " नहीं "  इस पर मुल्ला नसरुद्दीन नाराज हो गए और कहने लगे अजीब मुर्ख लोग हैं जो यह जानते ही नहीं मैं क्या कहने वाला हूँ ऐसे लोगो के साथ समय बर्बाद करने का क्या फायदा और वो उठ कर चले गए। लोग शर्मिंदा हुए इसलिए उन्होंने अगले दिन फिर से प्रवचन के लिए मुल्ला को बुलावा भेजा और वो आये भी। आकर आज भी प्रवचन से पहले उन्होंने लोगो से यही सवाल किया कि क्या आप जानते हैं मैं क्या बोलने वाला हूँ , लोगो ने इस बार एक कोरस में चिल्लाकर कहा हां ' इस पर मुल्ला फिर लोगो से नाराज हुए और कहने लगे अगर ऐसा ही है तो मुझे क्यों बुलाया गया है मैं आप लोगो के लिए समय बर्बाद नहीं करना चाहता ।       लोग दुविधा में थे कि अब इनसे कैसे पेश आया जाये तो भी लोगो ने एक उपाय सोचकर मुल्ला को फिर से प्रवचन के लिए बुला

• अनोखी गुरुदक्षिणा

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                      •  अनोखी गुरुदक्षिणा  एक गुरूकुल में तीन शिष्यों ने अध्यन पूरा करने के बाद गुरु से पूछा की वे गुरु दक्षिणा में क्या दे सकते हैं । गुरु मंद-मंद मुस्काये और फिर स्नेहपूर्वक बोले, 'मुझे तुमसे गुरुदक्षिणा में एक थैला भरके सूखी पत्तियाँ चाहिए, ला सकोगे ? तीनो बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें लगा की सूखी पत्तियाँ तो जंगल में बेकार ही पड़ी रहती हैं। यह इच्छा तो बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है । वे एक स्वर में बोले, जैसी आपकी आज्ञा गुरूजी'।       तीनो नजदीक के जंगल में पहुंचे। लेकिन यह देख उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि वह सूखी  पत्तियाँ तो केवल एक  ही मुट्ठी भर ही थी । वे सोच में पड़ गए कि जंगल से कौन सूखी पत्तियाँ उठा कर ले गया होगा। इतने में ही उन्हें दूर से कोई किसान आता दिखाई दिया। वे उसके पास पहुंच कर उससे एक थैला भर सूखी पत्तियों के लिए विनती करने लगे। किसान ने उनसे श्रमा याचना करते हुए कहा कि वह मदद इसलिए नहीं कर  सकता क्योकि उसने सूखी पत्तियों का उपयोग खाद बनाने के लिए पहले ही कर लिया है। किसान ने उन्हें पास के गाँव जाने को कहा। तीनो न

• माँ से सीखे मार्केटिंग के गुर ,मलेशिया में पहली महिला पायलट इनकी कंपनी की है

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      •  नाम--  तान श्री एंथोनी फ्रांसिस "टोनी"  फर्नाडिस       • जन्म-- 30  अप्रैल 1964,कुआलालपुर,मलेशिया       • शिक्षा-- लंदन ,स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स       • परिवार-- क्लो (पत्नी)  देबोराह ली बर्जस्ट्रॉम (पूर्व                 पत्नी)   स्टेफ़नी और स्टीफन (बेटा-बेटी) "मैं जब छह साल की उम्र का था, तब मैंने पिता से कहा था की आगे जाकर एयरलाइंस शुरू करूँगा । पिता पेशे से डॉक्टर थे। उन्होंने मेरी बात को नजरअंदाज कर दिया और कहा, " तुम पहले हिल्टन होटल की कौकरी तो करके बताओ । मैंने अपने सपनो पर विश्वास रखना जारी रखा । मैं अपने प्रत्येक कर्मचारी और अपने जीवन से जुड़े हर शख्स से असंभव सफलता हासिल करने में विश्वास रखने के लिए कहता हूँ। यही ताकत है जिससे आप खुद अपनी सफलता की कहानी लिख सकते हैं।' ये कहना है एयर एशिया के ( CEO )  टोनी फर्नाडिस का जो अपने कर्मचारियों के बीच अपनी सकारात्मक सोच के लिए जाने जाते हैं।                •  नहीं तो बन जाते डॉक्टर   टोनी के पिता गोवा से थे, जबकि माँ मलेशियाई मूल की थी। पिता चाहते थे बीटा डॉक्टर बने, लेकिन टोनी ने खुद का अ

• तेलानी राम की कहानियाँ (एक अजीब रिवाज)

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                  ( एक अजीब रिवाज ) एक बार तेलानी राम और महाराज के बीच बहस छिड़ गई की लोग किसी की बात पर जल्दी विश्वास कर लेते है की नहीं? तेलानी राम का कहना था की लोगो को आसानी से बेवकूफ बनाकर अपनी बात मनवाई जा सकती है। महाराज का कहना था की ये गलत है। लोग इतने मुर्ख नहीं है की किसी की बात पर भी आँख मूंदकर विश्वास कर ले।महाराज ने कहा: "तुम किसी से भी जो चाहो नहीं करके सकते"। श्रमा करें महाराज,!  में अपने अनुभव से कह रहा हो की यदि आपमें योग्यता है तो आप सामने वाले से असंभव से असंभव कार्य भी करवा सकते है-  बल्कि में तो यहाँ तक कहूंगा की यदि में चान्हू तो किसी से आप पर जूता भी फिकवा सकता हूं। "क्या कहा ? महाराज ने आँखे तरेरी-  हम तुम्हे चुनौती देते है तेलानीराम कि तुम ऐसा कर के दिखाओ ।" तेलानीराम ने सिर झुकाया:  मुझे आपकी चुनौती स्वीकार है महाराज! किन्तु इसके लिए मुझे कुछ समय चाहिए।' दृणता से महाराज ने कहा "तुम जितना चाहो समय ले सकते हो।' और उस दिन बात आई -गई होगी । तेलानीराम और महाराज दोनों ही अपने-  अपने कार्यो में व्यस्त हो गए।दो माह बाद मह