• अनोखी गुरुदक्षिणा एक गुरूकुल में तीन शिष्यों ने अध्यन पूरा करने के बाद गुरु से पूछा की वे गुरु दक्षिणा में क्या दे सकते हैं । गुरु मंद-मंद मुस्काये और फिर स्नेहपूर्वक बोले, 'मुझे तुमसे गुरुदक्षिणा में एक थैला भरके सूखी पत्तियाँ चाहिए, ला सकोगे ? तीनो बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें लगा की सूखी पत्तियाँ तो जंगल में बेकार ही पड़ी रहती हैं। यह इच्छा तो बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है । वे एक स्वर में बोले, जैसी आपकी आज्ञा गुरूजी'। तीनो नजदीक के जंगल में पहुंचे। लेकिन यह देख उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि वह सूखी पत्तियाँ तो केवल एक ही मुट्ठी भर ही थी । वे सोच में पड़ गए कि जंगल से कौन सूखी पत्तियाँ उठा कर ले गया होगा। इतने में ही उन्हें दूर से कोई किसान आता दिखाई दिया। वे उसके पास पहुंच कर उससे एक थैला भर सूखी पत्तियों के लिए विनती करने लगे। किसान ने उनसे श्रमा याचना करते हुए कहा कि वह मदद इसलिए नहीं कर सकता क्योकि उसने सूखी पत्तियों का उपयोग खाद बनाने के लिए पहले ही कर लिया है। किसान ने उन्हें पास के गाँव जाने को कहा। तीनो न
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